आहाँ चिंता जुनि करू
आगि लगै चाहे बज्जर खसै
ठनका ठनकै चाहे पानि झहरै
अपने बाटे चलैत रहू
आहाँ चिंता जुनि करू
पुरखाक चाहे पजेबा उखरए
थारिक सोहारी चाहे कुक्कूर खोखरए
नोन तेल मे चाहे पासंगे भेटए
दालिएक झोर स’ काज चलबैत रहू
आहाँ चिंता जुनि करू
हरदम नव-नव अन्वेषन हो
कर्मक जतेक छिद्रान्वेषन हो
सफलता-असफलताक चाहे झौहरि हो
कर्मक लाठी कसियौने रहू
आहाँ चिंता जुनि करू
फाटल अंगा वा काटल जेबी हो
टूटल पनही वा रुसल देवी हो
घर मे चाहे मुसरी दण्ड घिचए
फुफरियाएल ठोर के जीह स’ चटैत रहू
आहाँ चिंता जुनि करू
मित्र कतबो बज़ारू भ’ जाइथ
लोक-वेद ‘भजारे’ बुझथि
खिधांशक चाहे अगिनबान चलाबथि
अपना देह के नेरबैत रहू
आहाँ चिंता जुनि करू
काश्यप कमल
28.04.2010
Wednesday, April 28, 2010
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Kashyam Kamal jee.. ahank bahut-bahut shubhkamna... Ummeed achhi lok sab ke ahank lekh... vichar san laabh miltainh aur Maithili mein likhai ke prerna seho
ReplyDeletedhanyawad
Hitendra Gupta
Kaviraj ee kavita sa hum ahan ke fan bha gelau, ahan ke agla rachna ke intezaar rahat, ee blog banabai ke lel bahut bahut subhkamna
ReplyDeleteSwarg se sundar mithila dham, mandan ayachi raja janak ke dham jahi tham ugna banla mahadev vidyapati ke jan yo swarg se sundar mithila dham....
ReplyDeleteNikhil Jha
+91-9910176943
New Delhi
Kya Baat , Kya Baat , ..KYA BAAT........................................
ReplyDeleteRaman Jha -Kolkata
badhai
ReplyDeleteसुन्दर
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