एक टा जोतखी जी रहैथ । प्रकाण्ड विद्वान । विद्वता मे समस्त राज्य मे हुनकर धाख चलैन्ह.... ।
बुनछेक भेल रहै परंचु मेघ लागल रहै... गामक बाहर रस्ता कात मे मिरचैया गाछक झांखुर लग धोती खोलि बैसि गेलाह .....
भगता झारय लग्लैन्ह आ कहैन्ह....
भगता फेर हसैत कहल्कैन्ह.... धुर जोतखी जी केहेन बेबकूफ छी...... जोतखी जी फेर चूप.... ......
कहलखिन्ह "हमरा सन विद्वान अहि राज मे नहि छौ ....... परंचु जहन स' ई काल ध' लेलकाए तहन स' टीके हम बेबकूफ भ गेलहु"
.
No comments:
Post a Comment